मां के हाथ हवा में उठे रहे, आंखों में आंसू लिए बहन आशीष धौंचक जिंदाबाद कहते भाई को सलामी दे रही थी, बेसुध पत्नी आखिरी बार जी भरकर देखना चाह रही थी… एक शहीद के घरवालों का ये भावुक दृश्य जिसने भी देखा बिलख पड़ा। पानीपत में आज सुबह मेजर आशीष का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो पूरा गांव अपने लाल को सलामी देने के लिए उमड़ पड़ा। भारत माता की जय… के नारे के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकली। बेटा वतन पर कुर्बान हुआ था, मां को दुख तो था कि अब उनका लाल कभी नहीं आएगा लेकिन शहीद की मां के जज्बे को महसूस कीजिए। अपने सपूत की शहादत को वह हाथ उठाकर सैल्यूट कर रही थीं। जी हां, रास्ते भर वह हवा में अपने दोनों हाथों को जोड़े रहीं। एक शहीद के घरवालों का जज्बा कैसा होता है आज पूरे देश ने एक बार फिर देखा। बहन वंदे मातरम का जयघोष करते हुए भाई को सलाम दे रही थी। आंखों से आंसू बह रहे थे लेकिन भाई की शहादत को बहन अपने तरीके से नमन कर रही थी। आशीष की मां ने कहा, ‘मेरी पोती अफसर बनेगी। मेरी पोती अपने पप्पा के काम पूरा करेगी। मेरी पोती अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगी। मेरी पोती बदला लेगी।’
मेजर आशीष अगले महीने घर आने वाले थे। उन्होंने गांव में नया घर बनवाया था। अक्टूबर में शिफ्ट होने का प्लान था। वह तो नहीं आए, आज तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर पहुंचा। आज उनके शव को उस कमरे में ले जाया गया, जहां वह आते तो रुकते। यह दृश्य बेहद भावुक करने वाला था। घर पर कल से ही सैकड़ों की संख्या में लोगों का आना शुरू हो गया था। पैतृक गांव बिंझोल में तिरंगा लेकर लोग अपने सपूत को अंतिम विदाई देने पहुंच रहे थे। स्कूल के बच्चों ने भी रास्ते में खड़े होकर ‘मेजर आशीष अमर रहे’ के नारे लगाए।
अनंतनाग एनकाउंटर में शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर जब जवानों ने अपने कंधे पर उठाया तो मां ने नारा लगाया, ‘मेरा बेटा सदा अमर रहे।’ मां ने कहा- मेरा बेटा देश की शान। घरवाले हाथ जोड़े रोए जा रहे थे। मां का बुरा हाल था। वह आसमान की तरफ हाथ उठाए सपूत की शहादत को अपने तरीके से सलाम कर रही थी। मां ने आगे कहा कि मेरी पोती सेना में अफसर बनेगी…मेरी पोती बदला लेगी… मेरी पोती दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगी।