भारत का युवा वर्ग क्रिकेट ,फुटबॉल जैसे के गेमों ज्यादा ध्यान देकर अन्य गेमों में ना के बराबर ध्यान दिया करता था. जिस कारण भारत को ओलंपिक, एशियन गेम जैसे गेमों में पदक जुटाने में बहुत मुश्किल हुआ करती थी. मगर अब बीते वक्त के साथ-साथ भारत के युवा वर्ग ने अन्य खेलों पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है. इसके उदाहरण के लिए नीरज चोपड़ा जैसे युवा है जो बीते साल हुए टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत के लिए जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल लेकर आए थे. उसी तरह एक और युवा का नाम सामने आ रहा है.
जोकि हाल ही में थाईलैंड में आयोजित जु-जित्सू एशियन चैंपियनशिप कांस्य पदक जीतकर लाए हैं. उस युवा खिलाड़ी का नाम जयप्रकाश है जो उत्तराखंड राज्य के रुद्रपुर के रहने वाले हैं. जयप्रकाश के पिता मजदूरी का काम करते हैं. बेटे को चैंपियनशिप में भेजने के लिए उन्हें 90 हजार रुपयों की जरूरत थी. मगर उनके पास पैसों की कमी थी. मगर जयप्रकाश के पिता ने 90 हजार रुपए उधार लेकर अपने बेटे को चैंपियनशिप के लिए रवाना किया. बता दें कि बैंकाक (थाइलैंड) में 24 से 28 फरवरी तक जु-जित्सू एशियन चैंपियशिप हुई।
जु–जित्सू एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष रेंशी विनय कुमार जोशी ने बताया कि जु–जित्सू इंटरनेशनल फेडरेशन व जु–जित्सू एशियन यूनियन की तरफ से आयोजित प्रतियोगिता में एशिया के 30 देशों के 500 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया था। भारत से 34 खिलाड़ी बैंकाक पहुंचे थे। इसमें उत्तराखंड से रुद्रपुर के बुक्सौरा गांव निवासी जयप्रकाश, हल्द्वानी की नव्या पांडेय और आदर्श शर्मा ने बेहतरीन प्रदर्शन कर कांस्य पदक जीता. जयप्रकाश के पिता एक दिहाड़ी मजदूर है.
तो उनके पास 90 हजार रुपए नहीं थे. तो थोड़े पैसे जयप्रकाश की मां ने महिला स्वयं सहायता समूह से और कुछ पैसे अपने परिजनों से 3% ब्याज पर लिए थे. पैसे जमा करने के लिए जयप्रकाश के कोष ने मदद करने के लिए जयप्रकाश का बैंक अकाउंट इंटरनेट में डालकर मदद की अपील की थी. इंटरनेट से करीब उन्हें 40 हजार रुपए तक की मदद मिल गई थी. और आज उसी मेहनत और लगन की वजह से ही 56 किलो भार वर्ग में जय प्रकाश ने पदक जीतकर अपने माता-पिता का पूरे देश का नाम रोशन किया है. जयप्रकाश अब चीन के होंगझाऊ शहर में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स में शामिल होने जाएंगे. जयप्रकाश जैसे युवा सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.