पिथौरागढ़ की दो सगी बहनों ने उत्तीर्ण की जूनियर असिस्टेंट परीक्षा

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Two real sisters from Pithoragarh passed Junior Assistant exam
Two real sisters from Pithoragarh passed Junior Assistant exam (Image Source: Social Media)

वर्तमान समय में अब लड़के ही नही बल्कि उत्तराखंड की लड़किया भी किसी से पीछे नहीं है हर छेत्र में वो अपना परचम लहरा रहीं हैं। जी हां हम बात कर रहे है उत्तराखंड की दो सगी बहनों की जिन्होंने लोअर पीसीएस परीक्षा एक साथ पास की है। अगर वहां की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो पिता शिशु मंदिर में आचार्य हैं, मां अखबार के लिफाफे बनातीं, सूती-बुनाई करतीं और शादियों में मंगल गीत गाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान करतीं। उन्हें दो सगी बहन से आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने मां बाप के संघर्ष का आधार सत्कार किया। मूल रूप से देवभूमि उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले के पाभे गांव में रहने वाले, जिन्होंने वहां के परिवार और उत्तराखंड को गौरवान्वित किया, जी हां हम बात कर रहे हैं अर्चना और विनीता पांडे की जो राज्य कर विभाग में कनिष्ठ सहायक पद पर चयनित हुई हैं। और एक दिलचस्प तथ्य यह है कि दोनों बहनें पूर्व में वन आरक्षी के लिए भी चुनी गईं। उनकी कड़ी मेहनत ने उनके घर में सफलता और खुशियां ला दीं, अब बधाई देने वालों की कतार लगी हुई है।

 

माँ बाप का संघर्ष न जाने दिया व्यर्थ मुकाम को हासिल करने के लिए करा दिन रात एक- ”अर्चना और विनीता के पिता ”द्वारिका प्रसाद” पिछले ३० वर्ष से शिशु मंदिर नया बाजार के आचार्य थे।अर्चना और विनीता का परिवार पिछले बीस वर्ष से पिथौरागढ़ जिले के भदेलबड़ा क्षेत्र में किराया में रह रहे थे। द्वारिका प्रसाद जी के परिवार में उनकी दो बेटियां और एक पुत्र है। द्वारिका प्रसाद जी ने यह भी कहा की ”मिलने वाले वेतन से परिवार का गुजारा करना काफी मुश्किल होता था ऐसे में उनकी पत्नी भागीरथी देवी ने पुराने अखबार खरीद कर उनके लिफाफे बनाने शुरू किए जिससे परिवार की आमदनी में थोड़ा इजाफा हुआ इसके उपरांत उनकी पत्नी भागीरथी ने कताई-बुनाई का कार्य सीखा। अधिक जानकारी से यह भी पता चला की पोस्ट ऑफिस की आरडी (बचत खाता) का काम उनके द्वारा किया गया था , और सिर्फ़ यह हे नहीं परंतु उन्होंने लोगो के शुभ कार्यो मई मंगल गीत गाकर शगुन के रूप में मिले उपहार और भेंट से अपने पुरे परिवार का गुज़ारा किया और इतने संगर्षपूर्ण जीवन के बाद भी कभी भी अपने बच्चों को कभी पढ़ाये से लेकर किसी भी चीज़ पर कमी नहीं होने दे। द्वारिका और उनकि पत्नी ने परिश्रम कर अपनी दोनों बेटियों को सरसवती बालिका इंटर कॉलेज से पढ़ाई करवाए।

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