नई दिल्ली. अर्धसैनिक बलों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले अधिकारियों और जवानों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि बीते कुछ सालों में करीब 47 हजार जवान अर्धसैनिक बलों से सेवानिवृत्ति ले चुके हैं. यह आंकड़ा 2019 से 2023 के बीच का है. सबसे अधिक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले जवानों की संख्या बीएसएफ से है. बीएसएफ से बीते 5 सालों में 21860 सुरक्षाकर्मी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वालों में इंस्पेक्टर से लेकर कॉन्सटेबल तक हर रैंक के जवान और अधिकारी शामिल हैं.
हालांकि इस बाबत सुरक्षा बलों का कहना है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामलों की संख्या साल-दर-साल बदलती रहती है. हालांकि बीते सालों में इस संबंध में एक सा ट्रेंड नहीं देखा गया है. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर अब तक जो वजहें सामने आई हैं, उसमें ज्यादातर व्यक्तिगत और घरेलू कारण हैं. ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि बल सदस्य बच्चों या परिवार से जुड़े मुद्दे, परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों, पारिवारिक दायित्व और प्रतिबद्धताएं, बेहतर कैरियर के अवसर के चलते सुरक्षा बलों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं.
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति रोकने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम
सुरक्षाबलों में प्रमोशन को लेकर जवानों से लेकर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों में खासा रोश था. इस स्थिति को सुधारने के लिए सभी सुरक्षाबलों में समय पर कैडर समीक्षा शुरू की गई है, जिससे सभी बल सदस्यों को समय पर प्रमोशन मिल सके.
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की दूसरी सबसे बड़ी वजह रही है अधिकारियों और जवानों की पोस्टिंग. सभी जवानों की सभी क्षेत्रों में समान पोस्टिंग हो, इसके लिए जवानों के सर्विस को जोन के अनुसार बराबर बांटा है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यदि हार्ड जोन, हेडक्वार्टर सहित दूसरे जोन में सभी जवानों को समान रूप से कार्य करने का अवसर मिले. इसके अलावा, सर्विस के आखिरी दो सालों में होम जोन में पोस्टिंग का प्रावधान भी किया गया है.
सभी जवानों को 10-10 साल के अंतराल में तीन बार फाइनेंशियल अपग्रेशन का भी प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, सभी फील्ड फार्मेशन में बेहतर बुनियादी ढ़ांचा भी सुनिश्चित किया जा रहा है. सभी वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ब्रीफिंग-डीब्रीफिंग, रोल कॉल, सैनिक सम्मेलन के दौरान अधीनस्थों से समस्याओं को संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष को ध्यान में रखते हुए सुलझाएं.