नई दिल्ली: सेना में भर्ती से पहले अग्निवीरों को एक और टेस्ट से गुजरना होगा। यह टेस्ट उनके मानसिक क्षमताओं का आकलन करेगा। इसे साइकोमेट्रिक टेस्ट नाम दिया गया है। इस परीक्षण का उद्देश्य अग्निवीरों के मानसिक कौशल, व्यवहार और व्यक्तित्व लक्षणों का आकलन करना है। यह परीक्षण अभी प्रारंभिक अवस्था में है और अभी तक अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया के लिए औपचारिक रूप से अनिवार्य नहीं किया गया है। इस तरह के टेस्ट को पहली बार सेना में शामिल किया जा रहा है।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक….
इस परीक्षण को विकसित करने में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन(DRDO) के रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (DIPR) ने मदद की है। सूत्रों का कहना है कि सेना में तनावपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए मनोवैज्ञानिक विश्लेषण आवश्यक है। लेफ्टिनेंट जनरल सरना ने बताया कि हम रैलियों में विभिन्न नई चीजों और तकनीकों का प्रयोग करते हैं। एक चुने हुए समूह के उम्मीदवारों ने एक कंप्यूटर-आधारित मनोवैज्ञानिक परीक्षा में भाग लिया था जहां उन्हें प्रश्नों का एक सेट उत्तर देना था, जिसमें ज्यादातर मनोवैज्ञानिक पहलू शामिल थे।
अधिकारियों ने क्या बताया?
भर्ती रैली पुणे में बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर में आयोजित की गई थी। अन्य अधिकारियों ने बताया कि सेना को शारीरिक फिटनेस, मानसिक मजबूती और तनावपूर्ण परिस्थितियों में अकेले काम करने की क्षमता की आवश्यकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि किसी के पास बल के लिए योग्यता नहीं है, तो ये स्थितियां व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। मनोवैज्ञानिक परीक्षण इस पहलू की पहचान उम्मीदवारों में करेगा।
एक वरिष्ठ इंफैंटरी अधिकारी ने जोर देकर कहा कि अग्निवीर कठिन परिस्थितियों में सीमा पर तैनात होते हैं। अगर किसी उम्मीदवार को लगता है कि वह केवल चार साल की सेवा करेगा, तो हो सकता है कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन न करे। इसलिए, उनके मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझना आवश्यक है।