कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में वायु सेना के फर्जी अधिकारी का मामला सामने आया है। कुशीनगर के उत्कर्ष पांडेय पर यह गंभीर आरोप लगा है। वायु सेना में खुद को फ्लाइट लेफ्टिनेंट बताकर गांव में तो रौब जमाने की कोशिश की है। कई युवाओं को सेना में नौकरी दिलाने के लिए लाखों रुपए की वसूली का मामला सामने आया है। दबाव बढ़ने पर पीड़ितों को फर्जी नियुक्ति पत्र दिए जाने का मामला सामने आया है। उत्कर्ष के झांसे में सामान्य लोग ही नहीं, विधायक से लेकर सांसद तक आ गए। उत्कर्ष की शादी का रिश्ता तक लेकर एक विधायक और सांसद पहुंच गए थे। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, तीन सालों तक वह वायु सेना का अधिकारी बनकर काम करता रहा। लेकिन, मिलिट्री इंटेलीजेंस की रिपोर्ट पर वायु सेना के अधिकारी का रौब गांठने वाले उत्कर्ष पांडेय को लखनऊ के चिनहट से गिरफ्तार कर लिया गया। अब उसको लेकर कई प्रकार की बातें सामने आई हैं। नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में फेल करने वाले उत्कर्ष ने कैसे एक सेना अधिकारी का वेश धारण कर लिया, इस पर चर्चा तेज हो गई है।
कुशीनगर का रहना वाला है उत्कर्ष
उत्कर्ष ने फर्जीवाड़ा को बड़े ही अनोखे अंदाज में छुपाया था। उसने एनडीए की परीक्षा दी। परीक्षा में वह फेल हो गया। लेकिन, गांव और परिवार में उसने खुद के पास होने की खबर दे दी। इसके बाद वह गांव में सेना की वर्दी में आने-जाने लगा। गांव में वह अपनी ट्रेनिंग चलने की बात करता। लेकिन, उसने वर्ष 2021 में लखनऊ में किराए पर मकान लिया। राजधानी में उसने अपने साथियों के साथ मिलकर स्पाइसी स्वैगर्स नाम की फूड शॉप खोल ली। उत्कर्ष की गिरफ्तारी के बाद यूपी एसटीएफ के एएसपी अमित नागर ने उसके बारे में कई अहम जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि उत्कर्ष कुशीनगर के नौरंगिया के निम्बुआ गांव का रहने वाला है।
एसटीफ के अधिकारी ने कहा कि उसने अपने जाल में युवाओं को फंसाना शुरू कर दिया। उसके जाल में लखनऊ के साथ-साथ कानपुर, गोरखपुर, बहराईच, बस्ती, सौनौली जैसे इलाकों के बेरोजगार युवक फंसते चले गए। उसने अधिकारियों को भी फंसाना शुरू कर दिया। सेना के अधिकारी और विधायक-सांसद तक उसकी पहुंच हो गई। कार्यक्रमों में मंच पर उसकी मौजूदगी होने लगी। रुतबा बढ़ने लगा तो उसके जाल में बड़ी संख्या में युवक फंसने लगे।
फेल उत्कर्ष फर्जीवाड़े में रहा अव्वल
एनडीए परीक्षा में फेल होने वाला उत्कर्ष फर्जीवाड़े में अव्वल रहा। एसटीएफ की पूछताछ में उत्कर्ष ने कहा कि उसने वर्ष 2020 में सेना की एक्स, वाई समूह और एनडीए परीक्षा दी थी। उसके गांव के प्रवीण तिवारी का चयन हो गया था। उत्कर्ष इस परीक्षा में फेल हो गया। गांव के लोगों और घरवालों के बीच शर्मिंदगी से बचने के लिए उसने झूठ बोला। इसके बाद तो उसका गांव में जोरदार स्वागत हुआ। फिर एक झूठ को छुपाने के लिए लगातार झूठ बोलता रहा। उत्कर्ष ने गोरखपुर में वायु सेना की वर्दी सिलवाई। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के पास वर्दी की दुकानों से मेडल और रिबन खरीदकर वर्दी पर लगा लिया। कुशीनगर में कसाया बाजार के जनसेवा केंद्र से उसने सेना का आइडेंटिटी कार्ड भी बनवा लिया था। वर्दी और कार्ड देखकर लोग उस पर विश्वास करने लगे। फिर उसने जालसाजी का खेल शुरू कर दिया।
उत्कर्ष के फर्जीवाड़े का खेल ऐसा था, जिस पर परिवार वालों को भी शक नहीं हो पाया। उसके पिता कृष्ण कुमार को उसके बार-बार गांव में रहने पर कुछ शक हुआ तो उन्होंने पूछ लिया। ट्रेनिंग पर जाने की बात कही। पिता का शक न गहराए, इसके लिए उसने घूमने जाने की प्लानिंग कर ली। वह 7 दिन के लिए घूमने चला गया। लौटने पर उसने कहा कि ट्रेनिंग तेलांगना में चल रही थी। कोरोना की वजह से ट्रेनिंग रोक दी गई है। ऐसे वह पकड़े जाने से बचता रहा।
दिल्ली भागने के दौरान हुई गिरफ्तारी
एसटीएफ की पूछताछ में उत्कर्ष ने माना कि अब वह दिल्ली भाग रहा था, इसी दौरान पकड़ लिया गया। उसे लगने लगा था कि पीड़ित की शिकायत पर अब कार्रवाई हो सकती है। अब वह दिल्ली में रहकर फर्जीवाड़ा की फिराक में था। एसटीएफ उसकी कॉल डिटेल और मोबाइल में मिले कुछ दस्तावेजों के बारे में पड़ताल कर रही है। उसके पास से दो फर्जी प्रमोशन लेटर, फर्जी नियुक्ति पत्र, ई-पे स्लिप, ट्रेन टिकट, चार फर्जी आइडेंटिटी कार्ड, तीन एटीएम, दिल्ली मेट्रो कार्ड, सेना की वर्दी और कई मोहरें मिली हैं।
नौकरी दिलाने के नाम पर शुरू की वसूली
उत्कर्ष ने नौकरी दिलाने के नाम पर वसूली शुरू कर दी। अपने रौब के कारण वह बड़े-बड़े लोगों को झांसे में ले लेता था। उसके गांव में जाने पर आपको अभी भी बड़ी-सी होर्डिंग दिखेगी। इसे उत्कर्ष के स्वागत में बनवाया गया था। उसकी जालसाजी के फेर में विधायक, सांसद और अधिकारी तक फंसे। अपने परिजनों को नौकरी दिलाने के लिए वे उत्कर्ष तक पहुंचने लगे। उत्कर्ष ने एसटीएफ को बताया कि लोग उस पर विश्वास करने लगे थे। इसके बाद उसने सबसे नौकरी दिलाने के नाम पर रुपए वसूलना शुरू किया। 5, 7 से 10 लाख रुपए तक की वसूली कर रहा था। एसटीएफ ने उसके खाते से 10.50 लाख रुपए बरामद किए हैं। उसने खुद को अधिकारी के तौर पर दिखाने के लिए एयरफोर्स के तौर-तरीके सीखे। लोगों से वह बड़ी ही तमीज से बात करता था।
लोगों को बांटने लगा फर्जी नियुक्ति पत्र
उत्कर्ष ने नौकरी के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों से पैसे ऐंठ लिए। हालांकि, वह नौकरी दिलाने में कामयाब नहीं हुआ। ऐसे में फर्जी नियुक्ति पत्र बनाकर बांटना शुरू किया। गूगल से सेना का नियुक्ति पत्र को डाउनलोड और एडिट कर फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार किया था। युवा ठगे जाने लगे। कई युवा उसके रौब के कारण शिकायत करने से डरते थे। लेकिन, बाद में मामला खुलने लगा। सबसे अधिक कुशीनगर के युवाओं को उसने ठगा। कुशीनगर के सोनू गौड़, दिलीप गौड़, निखिल सिंह, अमन सिंह, सुन्दर, आशीष कनौजिया और नीरज कुशवाहा ने मामला दर्ज कराया। इसके बाद बस्ती के शिवप्रताप सिंह, विशाल दुबे, विश्वास दुबे, शऊज मिश्रा, ऋतुराज मिश्रा, आशुतोष तिवारी, सुल्तानपुर के शिवांश दुबे, सौरभ यादव, चंद्रिका पांडेय, राघवेंद्र सिंह, अयोध्या के रामकुमार सिंह और लखनऊ के राजू, विवेक एवं देवेश उपाध्याय उसके फर्जीवाड़ा का शिकार बने। अन्य जिलों में भी उसका जाल फैला हुआ था।