एक दर्दनाक हादसा उत्तराखंड राज्य से सामने आ रही है. यहां युवक के सीने में 5 सूत की सरिया घुस के आर पार हो गई. इतनी बुरी तरह से घायल हुए युवक को सबसे पहले कुमाऊं के स्थानीय सीएचसी केंद्र भेजा गया. फिर युवक को ,हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. लेकिन युवक की स्थिति और ज्यादा खराब होने की वजह से युवक को एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया. घायल युवक को एम्स ऋषिकेश पहुंचने में लगभग 12 घंटे का समय लगा. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ट्रामा विभाग के शल्य चिकित्सकों ने आधी रात को ही युवक की सर्जरी शुरू कर दी. लगभग 4 घंटे चले इस सर्जरी के बाद डॉक्टर्स युवक को नई जिंदगी देने में कामयाब हुए. युवा अब खतरे से बाहर है और एम्स के ट्रामा वार्ड में उपचाराधीन है.
प्राप्त हो रही जानकारी से पता चलता है कि यह घटना कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा- हल्द्वानी हाईवे के सुयालबाड़ी से थोड़ा सा आगे की है. कुछ दिनों पहले यहां हुए एक सड़क हादसे में शिक्षकों को ले जा रही कार और पिकअप वाहन की जोरदार टक्कर हो गई. टक्कर के बाद पिकअप वाहन कई फीट नीचे निर्माणाधीन पुलिया पर जा गिरा. इस पुलिया पर 15 सूत का सरिया ऊपर की ओर उठा हुआ था. पिकअप वाहन जब नीचे गिरा तो उसी दौरान पिकअप वाहन में बैठे 18 वर्षीय मोहित की छाती को चीरते हुए वाह सरिया आर पार हो गया.
लगभग 1 घंटे तक मोहित पुलिया की सरिया पर ही फसा रहा. जिसके बाद पुलिस की मदद से पुल से लगे उस सरिया को काटा गया और फिर सरिया सहित ही मोहित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुयालबाड़ी ले जाया गया. स्थानीय सीएचसी कि चिकित्सकों की टीम ने युवक की गंभीर हालत को देखते हुए युवक को हल्द्वानी के सुशील तिवारी अस्पताल में रेफर कर दिया. जहां से फिर युवक को एम्स रेफर कर दिया गया. इसके बाद युवक की सर्जरी एम्स में हुई. इस सर्जरी की जानकारी देते हुए एम्स सर्जरी टीम के मुख्य सर्जन डॉक्टर मधुर उनियाल ने बताया कि बहुत ही ज्यादा कठिन समय था.
आधी रात के वक्त जब युवक को एम्स के ट्रॉमा इमरजेंसी के लिए लाया गया. तो हमने देखा कि वाह सरिया युवक की पीट से घुसकर आगे सीने से बाहर निकल रहा है और युवक को तिरछी करवट वाली स्थिति में लेट आया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि भले ही यह घटना सुबह 11:00 बजे की हो मगर युवक को एम्स हॉस्पिटल ऋषिकेश पहुंचने में लगभग रात के 12:00 बज चुके थे. मतलब कि युवा के शरीर में या सैया घुसे हुए लगभग 12 घंटे से अधिक का वक्त हो चुका था.
यहां समय हमारे लिए बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण था मगर चिकित्सकों की टीम के लिए युवक की जान बचाना बहुत ज्यादा जरूरी था. जिसके बाद ऐसे में हाई रिस्क लेते हुए सर्जरी करने का फैसला लिया गया. लगभग 4 घंटे चले इस ऑपरेशन के बाद मोहित की दाहिनी छाती खोलकर सरिया को बाहर निकाल दिया गया. सोनिया ने बताया कि टीमवर्क से किए गए इस कार्य की वजह से ऑपरेशन सफल रहा और अब युवक भी खतरे से बाहर है. तेरी करने वाली टीम में डॉक्टर मधुर उनियाल के अलावा डॉक्टर नीरज कुमार और डॉक्टर अग्निवा का भी योगदान रहा और एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ अजय कुमार और डॉक्टर मानसा ने किया.
यदि भविष्य में कभी किसी के शरीर में सैयां या नुकीली रोड जैसी चीज घुस जाए. तो बिना सेल चिकित्सकों की मदद से उसे खुद से निकालने का प्रयास ना करें. क्योंकि ऐसा करने से खून ज्यादा बहने के कारण व्यक्ति की जान बचाना बेहद मुश्किल हो सकता है.
डॉक्टर मधुर उनियाल, ट्रामा सर्जन, एम्स, ऋषिकेश
कुमाऊ से एम्स ऋषिकेश पहुंचने तक युवक को लगभग 12 घंटे का समय लगा. ऐसे मैंने 12 घंटे तक युवक को तिरछा लेटा कर रखा गया. सर्जरी के लिए युवा को बेहोश करना आसान काम नहीं था और सरिया फंसे होने के कारण युवक को सीधा भी नहीं मिटाया जा सकता था. यहां देखते हुए और रिस्क लेते हुए डबल ल्यूमन ट्यूब डालकर उसे बेहोश करना पड़ा.
डॉ अजय कुमार, एनेस्थीसिया विभाग, एम्स, ऋषिकेश
इस घटना से 2 दिन पहले ही मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी. ऐसे में फिर मोहित के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर से हम पूरी तरह टूट गए थे और मोहित के जीवन को लेकर भी हार मान चुके थे. मगर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने मोहित को नया जीवन देकर हमारी उम्मीदों को रोशनी दी है. अब मेरा बेटा खतरे से बाहर है और एम्स के चिकित्सक हमारे लिए किसी भगवान से कम नहीं है.
किशन राम, मोहित के पिता
एम्स के ट्रामा विभाग में कुशल और अनुभवी शल्य चिकित्सकों की टीम मौजूद है. हाल ही में हुई कुमाऊं के युवा की सर्जरी के मामले में डॉ मधुर उनियाल और डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में शामिल रही टीम के सभी चिकित्सकों का कार्य बहुत ही ज्यादा प्रशंसनीय है. प्रत्येक मरीज का जीवन बचाना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है.
प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निर्देशक, एम्स ऋषिकेश.