उत्तराखंड का हमेशा से ही देवताओं की भूमि होने के कारण उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है. उत्तराखंड में आप जहां भी जाएंगे वहां आपको देवताओं के मंदिर देखने को मिल जाएंगे. उत्तराखंड की हवा पानी पेड़ पौधे और कण-कण में देवताओं का वास है.
इस बात को साबित करते हुए एक खबर उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले से सामने आ रही है. जहां स्थित गोलू देवता के मंदिर में 15 साल पुराना सूखा हुआ शहतूत का पेड़ दोबारा से हरा भरा हो गया है. अब बहुत से लोग ऐसे ही गोलू देवता का चमत्कार मान रहे हैं और बहुत से लोग प्रकृति की देन मान रहे हैं.
अभी इसके कारण का पता नहीं चल पाया है मगर इतने साल पुराने सूखे हुए शहतूत के पेड़ के दोबारा से हरे भरे हो जाने के कारण यह खबर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. क्या खंड के लोगों के लिए गोलू देवता एक अहम आस्था का केंद्र है. जिस कारण लोग शहतूत के पेड़ के हरे भरे हो जाने को गोलू देवता का चमत्कार ही मान रहे हैं. अभी तक मिली खबरों से पता चल रहा है कि उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के लोद घाटी में गोलू देवता का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर स्थापित है.
इसी मंदिर परिसर में 400 वर्ष से पहले से एक साथ शहतूत पेड़ भी स्थित है. या शहतूत का पेड़ 15 वर्ष पहले सूख गया था. इस खबर के बारे में मंदिर के पुजारी श्री शंकर दत्त पाटनी ने बताया कि यहां 15 साल से सूखा हुआ शहतूत का पेड़ अब दिन पर दिन हरा भरा होता जा रहा है. जिस कारण से क्षेत्रवासी इसे गोलू देवता का आशीर्वाद मान रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यहां मंदिर बहुत ही ज्यादा प्राचीन है जिसे की चंद वंश के राजाओं ने 400 साल पहले लोध घाटी में स्थापित किया था. हर साल गोलू देवता मंदिर में बैसाखी के वक्त गर्भ ग्रह की पूजा अर्चना होती है. इस अवसर पर मंदिर परिसर में एक विशाल मेला भी आयोजित किया जाता है.