चमोली: सात दिन पहले आपदा बहा ले गई घर-आंगन, ग्रामीणों-रिश्तेदारों ने कराई बेटी की शादी

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Seven days ago, the disaster swept away the house and courtyard, but villagers and relatives arranged the daughter's wedding.
Seven days ago, the disaster swept away the house and courtyard, but villagers and relatives arranged the daughter's wedding.

पहाड़ में जब आपदा आती है तो अपने साथ घर-आंगन ही बहाकर नहीं ले जाती, बल्कि सपनों और उम्मीदों को भी डुबो देती है। ऐसा ही दर्द झेला चमोली जिले के नंदानगर ब्लाक स्थित सेरा गांव में महिपाल सिंह गुसाईं के परिवार ने। महिपाल और उनकी पत्नी देवेश्वरी ने बरसों से बेटी नीमा की शादी का सपना संजोया था।23-24 सितंबर का शुभ मुहूर्त तय हुआ, घर-आंगन सजने लगे, लेकिन शादी से छह दिन पहले गांव में आपदा आ गई। त्रासदी में उनका घर, सामान सब कुछ बह गया। इससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। विवाह का दिन नजदीक आने के साथ ही माथे पर चिंता की लकीरें गाढ़ी होने लगीं।

दुख की इस घड़ी में रिश्तेदार और क्षेत्र के लोग देवदूत बनकर सामने आए। वर पक्ष ने भी पूरा सहयोग किया। किसी ने घर-गृहस्थी के लिए सामान जोड़कर दिया, किसी ने कपड़े जुटाए तो किसी ने अपनी गाढ़ी कमाई से नकदी निकालकर मदद की। मंगलवार को स्वजन के साथ जब क्षेत्र के लोग भी बेटी के मंगल स्नान में जुटे तो परिवार के आंसू छलक पड़े।नंदानगर क्षेत्र में 17 सितंबर की रात बिनसर की पहाड़ी पर बादल फटने से सेरा समेत पांच गांवों में भारी तबाही हुई थी। नदी-नालों के उफान और भूस्खलन की चपेट में आने से नौ लोग लापता हो गए थे, जिनमें से सात के शव मिल गए हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने भागकर जान बचाई थी। 80 से अधिक घर व गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो गई थीं।

कई ग्रामीणों के घर तो पूरी तरह जमींदोज हो गए। आपदा वाली रात सेरा गांव में महिपाल के परिवार ने भागकर किसी तरह जान तो बचा ली, लेकिन सैलाब उनके दो मकान, गोशाला, घराट समेत सब कुछ बहा ले गया। परिवार के पास बचे तो सिर्फ बर्बादी के निशां और पूर्व की यादें।इससे महिपाल और देवेश्वरी को गहरा आघात लगा। आघात इसलिए भी गहरा था, क्योंकि 23 व 24 सितंबर को उनकी बेटी नीमा का विवाह तय था। इसके लिए गांव में पूरी तैयार हो गई थी। घर में मेहमानों का आना भी शुरू हो गया था, लेकिन घर के साथ शादी का सामान, जेवरात, नकदी सब कुछ बह जाने से विवाह की खुशियों को ग्रहण लग गया। ऐसे में मदद के लिए आगे आए क्षेत्र के लोग और नाते-रिश्तेदार। पोखरी क्षेत्र के कलसीर डांडों गांव निवासी दूल्हे गौरव सिंह और उसके परिवार ने भी सादगी के साथ विवाह संपन्न कराने का प्रस्ताव दिया।

सभी की मदद से गोपेश्वर के एक बरातघर में विवाह समारोह के लिए इंतजाम कराए गए। मंगलवार को यहां मंगल स्नान के साथ हल्दी की रस्म संपन्न हुई। इस दौरान बरातघर का माहौल किसी उत्सव से कम नहीं था। हर व्यक्ति अभिभावक की तरह जिम्मेदारी संभाल रहा था। महिलाएं सज-धज कर मंगल गीत गा रही थीं और पुरुष आयोजन की व्यवस्थाओं में जुटे हुए थे। नीमा की बरात बुधवार को आएगी।

विवाह समारोह में तमाम ऐसे अपरिचित चेहरे भी शामिल हुए, जिनका महिपाल के परिवार से दूर-दूर तक नाता नहीं, लेकिन वह इंसानियत का रिश्ता निभाने पहुंचे। समारोह में शामिल गोपेश्वर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर बिष्ट कहते हैं कि कन्यादान सबसे बड़ा दान है। सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष गजेंद्र रावत ने कहा कि यह पहाड़ की सामूहिक मदद की भावना को दर्शाता है।

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