पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की संदिग्ध मौत: हरीश रावत ने परिवार से की मुलाकात, SIT जांच की मांग की

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Suspicious death of journalist Rajiv Pratap Singh: Harish Rawat meets family, demands SIT probe
Suspicious death of journalist Rajiv Pratap Singh: Harish Rawat meets family, demands SIT probe

उत्तराखंड के स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की संदिग्ध मौत के मामले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को पत्रकार के परिजनों से मुलाकात की और उनकी मौत पर गहरा संदेह जताते हुए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की।

हरीश रावत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस मुलाकात को साझा करते हुए कहा कि राजीव भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक साहसी पत्रकार थे, जिनकी हत्या का अंदेशा है।दीपनगर क्षेत्र में स्थित राजीव के घर पहुंचे हरीश रावत ने उनके पिता मुरारी लाल, पत्नी और अन्य परिजनों से शोक संवेदना व्यक्त की। रावत ने कहा, स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह जो उत्तरकाशी में भ्रष्टाचार के एक मामले के खिलाफ आवाज उठाते शहीद हो गए। आज उनके आवास पर पहुंचकर उनके पिता श्री मुरारी लाल जी, पत्नी और परिजनों से भेंट की।

रावत ने राजीव की पत्रकारिता पर जोर देते हुए कहा कि वह उत्तरकाशी में विभागीय अनियमितताओं और सामाजिक मुद्दों पर लगातार सवाल उठा रहे थे। उन्होंने संदेह जताते हुए पूछा, कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी आवाज को दबाने के लिए भ्रष्ट माफिया ने यह कदम उठाया?

हरीश रावत ने राज्य सरकार को सलाह दी कि पत्रकारिता निर्भीक रहेगी तो राज्य निर्भय रहेगा। उन्होंने SIT गठन की मांग की और चेतावनी दी कि यदि जल्द खुलासा न हुआ तो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जांच की जरूरत पड़ेगी।

राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को राजीव की मौत को दुखद ही नहीं, बल्कि भयावह बताते हुए अविलंब निष्पक्ष जांच की मांग की थी। गांधी ने कहा कि पत्रकार का पहले लापता होना और फिर मृत पाया जाना चिंताजनक है।

पुलिस की जांच और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट

राजीव 18 सितंबर की रात से लापता थे और 28 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज के पास भागीरथी नदी से उनका शव बरामद हुआ। बढ़ते दबाव के बीच उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ ने मंगलवार को उत्तरकाशी के पुलिस उपाधीक्षक जनक सिंह पंवार की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम गठित की घोषणा की।DGP सेठ ने बताया कि टीम सीसीटीवी फुटेज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और राजीव के साथ आखिरी बार देखे गए लोगों के बयानों की गहन समीक्षा करेगी। क्षतिग्रस्त गाड़ी का तकनीकी मूल्यांकन और क्रैश इंपैक्ट एनालिसिस भी होगा।

डीजीपी ने कहा कि परिजनों ने धमकी भरे फोन कॉल्स की शिकायत की है, हालांकि राजीव ने पहले उत्तरकाशी पुलिस को कोई सूचना नहीं दी थी। टीम इन सभी पहलुओं की जांच कर शीघ्र रिपोर्ट सौंपेगी।

पुलिस के अनुसार, 19 सितंबर को लापता होने की सूचना मिलते ही तलाश शुरू हुई। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, ड्रोन और श्वान दलों की मदद ली गई। सीसीटीवी में 18 सितंबर को राजीव को अकेले वाहन चलाते देखा गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह छाती और पेट में लगी आंतरिक चोटें बताई गईं, जो दुर्घटना से लगी लगती हैं। उत्तरकाशी की एसपी सरिता डोभाल ने कहा, चिकित्सकों के अनुसार, ऐसी चोटें दुर्घटना के दौरान ही लगती हैं।

परिवार का संदेह और मांग

परिजन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर रहे। राजीव के चाचा कृपाल सिंह ने कहा, रिपोर्ट में मौत दम घुटने या डूबने से नहीं, बल्कि आंतरिक चोटों से बताई गई है, तो हत्या की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। अन्य परिजनों ने बताया कि शव पर कपड़े नहीं मिले, जबकि 10 दिनों बाद सड़े-गले कपड़े होने चाहिए थे। इससे डूबने की थ्योरी पर सवाल उठे हैं।

राजीव के पिता मुरारी लाल ने रिपोर्ट पर संदेह जताते हुए कहा कि लापता होने से दो दिन पहले राजीव ने उसी अस्पताल की अनियमितता की खबर चलाई थी, जहां पोस्टमॉर्टम हुआ। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग दोहराई।

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