केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में जल्द प्रमोशन ना मिलना एक आम बात है ।आपको बता दें कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को प्रमोशन मैं काफी साल लग जाते हैं जिस कारण कई सैनिक समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लेते हैं। दूसरी फोर्सेस की तरह अर्धसैनिक बलों में प्रमोशन का देरी से मिलना और अन्य सुविधाएं उपलब्ध ना होने के कारण कई जवान रिटायरमेंट ले चुके हैं ।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में 81 हजार से अधिक अर्धसैनिक बलों के जवान स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले चुके हैं व साथ ही 16000 जवान ऐसे हैं जिन्होंने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दिया है।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीएसएफ व असम राइफल्स में एक कॉन्स्टेबल को हेड कांस्टेबल बनने में लगभग 21 -22 साल लग जाते हैं। सीआरपीएफ मे 17 ,आइटीबीपी और एसएसबी में 13 व सीआईएसएफ मे 18 साल का समय लग जाता है।
यदि हेड कांस्टेबल सेअसिस्टेंट सब इंस्पेक्टर मे प्रमोशन की बात करें तो बीएसएफ और आईटीबीपी में 11- 12 साल, एसएसबी में 10 साल ,सीआरपीएफ में 7 साल और असम राइफल्स में 5-6 साल व सीआईएसएफ मे 11 साल लग जाते हैं। ऐसे ही एएसआई से एसआई बनने में औसतन 10 साल और सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर बनने में औसतन 9 साल का समय लग जाता है।
इस सबके चलते अब जवानों द्वारा अपने हक के लिए लड़ने के लिए संगठन बनाए जा रहे हैं। एक जवान रणवीर सिंह सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर तैनात थे व उन्हें उस कॉन्स्टेबल से सब इंस्पेक्टर बनने में ही 30 साल का समय लग गया और अब जब वे रिटायर हो चुके हैं तो उन्होंने अपने साथी जवानों को न्याय दिलाने के लिए कनफेडरेशन ऑफ पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन नामक संगठन बनाया है ।
जो इन जवानों के हक के लिए लड़ रहा है। और खबर आ रही है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की समस्या को सुलझाने के लिए गृह मंत्रालय ने एक कमेटी बनाकर 2 महीनों में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। उम्मीद है कि जल्द ही अर्धसैनिक बलों की पेंशन की यह समस्या दूर होगी।