बिहार के बक्सर जिले में एक तांत्रिक के बहकाबे में आकर दो नाबालिग बेटियों के साथ सालों तक रेप करने वाले पिता को कोर्ट ने सजा सुनाई। बक्सर जिले की पॉक्सो कोर्ट ने मामले में दोषी पिता और तांत्रिक अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले में रेप पीड़िता की मां और चाची को 20 साल की सजा सुनाई। तांत्रिक के कहने पर इन लोगों ने ही दोषी पिता को बेटियों के रेप के लिए उकसाया था।
नाबालिग बहनों का एक दशक यानी 10 साल तक रेप किया गया। आखिर में दोनों बहनों से मई 2022 को पुलिस में इसकी शिकायत की। पुलिस ने मामला दर्ज कर इसकी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। इस पर मंगलवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह पॉस्को के विशेष न्यायाधीश मनकामेश्वर प्रसाद चौबे ने पिता को दोषा माना। कोर्ट ने दोषी पिता, तांत्रिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
ये है पूरा मामला
पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया था कि आरोपी पिता ने 2012 में बेटे की चाहत में स्थानीय तांत्रिक से संर्पक किया। तांत्रिक ने उन्हें अपनी बेटियां के साथ शारीरिक संबंध बनाने को कहा। पिता ने तांत्रिक की बात मानते हुए अपनी दोनों नाबालिग बेटियों के साथ 2012 में रेप किया। चार्जशीट में कहा गया कि कुछ समय बाद आरोपी की पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया। इस पर तांत्रिक ने पिता से कहा कि उसके बेटे की जान को खतरा है। उसकी मौत हो सकती है। उसे फिर से बेटियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने होंगे। बाद में तांत्रिक ने भी लड़कियों के साथ बलात्कार करना शुरू कर दिया। बाद में 2022 में नाबालिग बेटियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
घटना पर समाज के प्रबुद्धजन चिंतित
इस घटना के सामने आने के बाद समाज के प्रबुद्धजन चिंतित हैं। ए. एन. सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के काम करने वाले प्रो. सचिंद्र नारायण ने
समाज में इस तरह की घटनाओं के पीछे शिक्षा का कमी को मूल कारण बताया। उन्होंने कहा कि बेटियां हर क्षेत्र में आज अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन लोग अभी भी ‘बेटे और बेटियों के बीच भेदभाव’ करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि हमारी लड़कियां सिविल सेवा परीक्षा में टॉपर रही हैं। 100 से अधिक महिला वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमें उन पर गर्व होना चाहिए। सिविल सेवा परीक्षा 2022 में महिलाओं ने शीर्ष चार स्थान हासिल किए।
यह घटना मौजूदा पितृसत्तात्मक प्रणाली का परिणाम: प्रो. बीएन प्रसाद
एक अन्य समाज विज्ञानी प्रो. बी. एन. प्रसाद ने कहा कि इस तरह की घटनाएं तब तक चलती रहेंगी, जब तक कि महिलाओं की ओर से पितृसत्ता को पर्याप्त रूप से चुनौती नहीं दी जाती। प्रसाद ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह (घटना) लैंगिक भेदभाव नहीं है, बल्कि यह मौजूदा पितृसत्तात्मक प्रणाली का परिणाम है। उन्होंने कहा कि आम मान्यता यह है कि बेटियां ‘पराया धन’ (किसी और की संपत्ति) हैं और संसाधनों को कम करती हैं। जबकि बेटों को पिता की संपत्तियों का प्राकृतिक उत्तराधिकारी माना जाता है। उन्हें अपने माता-पिता की चिताओं को जलाने का विशेष अधिकार भी है। ये चीजें ऐसे समय में जारी हैं, जब हम चंद्रमा पर पहुंच चुके हैं। और सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मिशन शुरू किया है।
(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीड़ितों की गोपनीयता की रक्षा के लिए उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया है)