लखनऊ: गोमतीनगर विस्तार इलाके में हुए सड़क हादसे में अपना इकलौता बेटा खोने वालीं एडिशनल एसपी श्वेता श्रीवास्तव पीपीएस हैं। वह बेटे नैमिष को आईपीएस बनाना चाहती थीं। मामा ने उसे आईपीएस की वर्दी वाले कपड़े भी दिलवाए थे। पढ़ाई के साथ ही वह खेलकूद में भी काफी अच्छा था। बेटे को फिजिकली फिट रखने के लिए श्वेता रोज उसे जनेश्वर मिश्र पार्क टहलाने व स्केटिंग सिखाने ले जाती थीं। बदहवासी की हालत में उन्होंने कहा कि मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया तो भगवान मेरे साथ गलत कैसे कर सकता है? वह मानने को तैयार नहीं थीं कि नैमिष अब उनके बीच नहीं है।
आपको बता दें कि कि मंगलवार सुबह तेज रफ्तार एक्सयूवी ने स्केटिंग सीख रहे एक बच्चे को टक्कर मार दी। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। कोच की मदद से मां ने बच्चे को निजी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने केस दर्ज कर कार सवार दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। मरने वाला बच्चा पीएचक्यू की एसआईटी में तैनात एएसपी श्वेता श्रीवास्तव का नौ साल बेटा नैमिष था।
लोग मुझे पागल समझ रहे, रुको नैमिष को तो साथ ले लूं’
केजीएमयू की मर्च्युरी पर मासूम नैमिष का शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाया गया तो घरवालों का तांता लग गया। नैमिष की मां श्वेता को भी लाया गया। परिवारीजन ने उन्हें मर्च्युरी परिसर में पड़ी बेंच पर बैठाया और सांत्वना देने का प्रयास किया, लेकिन वह बदहवास थीं। तेज-तेज हंस रही थीं। उनकी हालत देख हर किसी की आंखों से आंसू छलक पड़े। घरवाले उन्हें वहां से हटाकर गाड़ी में बैठाने के लिए ले जाने लगे तो उन्होंने कहा, तुम लोग मुझे पागल समझ रहे हो। मैं सब जानती हूं। देखो वहां पांडे सर खड़े हैं। अरे, रुको नैमिष को तो साथ ले लूं। वह अकेला है।
इकलौते बेटे के गम में एक पुलिस अफसर मां की वेदना देख हर कोई गमजदा हो गया। उनकी हालत देख लोग फफक कर रो पड़े। भाई मानस ने संभालने की कोशिश की तो श्वेता उन्होंने उसे बड़ा बेटा कहकर संबोधित करने लगीं। इस पर वह भी रोने लगे। किसी तरह उन्हें मर्च्युरी परिसर से निकालने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि अरे भाई मुझे पागल मत समझो। देखो वह मर्च्युरी का गेट है। उस रास्ते से भीतर जाते हैं। वहां डॉक्टर बैठते हैं। मुझे सब मालूम है। परिवारीजन किसी तरह समझाकर उन्हें गाड़ी तक ले गए। उनकी आंखों के आंसू सूख चुके थे। वह मानने को तैयार नहीं थीं कि उनका लाडला नैमिष अब इस दुनिया में नहीं है।
स्ट्रेचर पर रखा नैमिष का शव मर्च्युरी में पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया जाने लगा तो उसके मामा मानस ने रोक लिया। भांजे के चेहरे को दोनों हाथों में थाम कर वह फफक पड़े। उनके मुंह से निकल पड़ा कि तू हम सबको छोड़कर इतनी जल्दी क्यों चला गया। मानस की हालत देख उनके आसपास मौजूद अन्य परिवारीजन भी रो पड़े। मर्च्युरी पर मुस्तैद पुलिसकर्मी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। महिला पुलिसकर्मी भी बस ही कहती दिखीं, भगवान ये दिन किसी को न दिखाए।