बॉर्डर पर तैनात था तो दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ पाए, पटवारी बनते ही बेटे को माफिया ने मार डाला…’, कहते हुए बिलख पड़े पिता

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When he was posted on the border, the enemies could not do any harm, as soon as he became Patwari, the son was killed by the mafia...', the father wept while saying this.
When he was posted on the border, the enemies could not do any harm, as soon as he became Patwari, the son was killed by the mafia...', the father wept while saying this.

मध्य प्रदेश में रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं. शहडोल जिले के ब्यौहारी में गश्त कर रहे ईमानदार पटवारी की रेत माफियाओं ने टैक्टर से कुचल कर हत्या कर दी. पटवारी ने प्रशासन से खतरे का संदेह पहले ही जताया था. बावजूद इसके सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे. इस हादसे के बाद से पटवारी प्रसन्न सिंह के परिजन सदमे में है और गांव में मातम पसरा हुआ है. 

रीवा जिले के बरौ गांव में जन्मे प्रसन्न सिंह 16 साल तक भारतीय सेना में रहकर देश की सरहद पर रखवाली की थी. साल 2017 में रिटायर्ड होने के बाद बाद राजस्व विभाग में पटवारी बने. 2018 में अनूपपुर के बाद शहडोल में तैनात होकर सोन नदी के तट पर हो रहे अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए मुस्तैद थे. 

पुलिस फोर्स मुहैया नहीं कराई गई

बीती रात SDM के आदेश का अमल करते हुए रेत को माफियाओं से बचाने के लिए दबिश दी. जहां प्रसन्न सिंह पर हमला हो गया. माफिया ने टैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी. प्रसन्न के साथ केवल उनके 4 सहयोगी और ड्राइवर था. जबकि पुलिस फोर्स मुहैया नहीं कराई गई थी. लेकिन फर्ज और ईमानदारी से ड्यूटी निभाने के लिए खतरा होने के बावजूद भी प्रसन्न जोखिम में चले गए थे.

पटवारी की मौत के बाद मौके पर पुलिस प्रशासन.

थाने से चंद दूरी पर अवैध उत्खनन

पुलिस थाने से चंद दूरी पर इस इलाके में लंबे अरसे से अवैध उत्खनन हो रहा था. इस इलाके में पहले भी माफियाओं ने हमले किये थे. 2 दिन पहले ही प्रशासन ने छापामार कर माफियाओं कब्जे से मशीन और ट्रक जप्त किए थे. खतरे को जानते हुए भी प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम नहीं किए थे. नतीजन प्रसन्न सिंह की जान चली गई. 

रात में लगाई जाती थी ड्यूटी

पटवारी प्रसन्न सिंह को पहले ही खतरे का अंदेशा था, अपने परिजनों और दोस्तों से पटवारी से बताया करते थे. प्रसन्न सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया कि लगातार रात में ड्यूटी लगाई जाती थी लेकिन उनके साथ पुलिस फोर्स नहीं रहती थी. पुलिस होती तो शायद प्रसन्न की हत्या रेत माफिया नहीं कर पाते. हादसे के बाद भी प्रशासन का अमला प्रसन्न सिंह के परिजनों की खोज खबर लेने तक नही पहुंचा. 

 

दो बेटियां और दो जुड़वां बेटों के सिर से उठा पिता का साया  

 

प्रसन्न सिंह अपने पिता के इकलौते बेटे थे. बूढ़े मां-बाप का सहारा थे. प्रसन्न सिंह की दो बेटियां और दो जुड़वां छोटे-छोटे बेटे हैं. अपने इकलौते बेटे को गंवा चुके महेंद्र सिंह बघेल का प्रशासन से भरोसा उठ चुका है. 

 

16 साल तक आर्मी में रहे प्रसन्न

 

बिलखते पिता ने कहा, बेटा 16 साल तक आर्मी में रहे, वहां शहीद होते तो गर्व होता. इस बात का दुख है कि रेत माफियाओं से रुपए कमाने वालों अफसरों ने प्रसन्न को सुरक्षा तक नहीं दी और अपने फर्ज को निभाते हुए उनकी जान चली गई. देखिए कितनी बड़ी विडंबना है कि प्रसन्न सिंह 16 साल तक सरहद में देश की सेवा के लिए तैनात रहे और दुश्मन उनका बाल बांका नहीं कर पाए, लेकिन अपने देश में ही रेत माफिया ने उनकी जान ले ली. 

 

पापा से हादसे वाली दोपहर में बात हुई: बेटी 

 

पटवारी प्रसन्न की बेटी दीया सिंह ने बताया कि पापा से हादसे वाली दोपहर में बात हुई थी. खतरे के पहले भी वीडियो दिखाया करते थे. वहीं, दोस्त पुष्पेंद्र सिंह ने बताया, प्रसन्न सालभर पहले मुझे रेत माफिया की करतूतों के बारे में जानकारी दी थी. प्रशासन की ड्यूटी रेत माफियाओं को पकड़ने के लिए लगती था. लेकिन पुलिस फोर्स नहीं दी जाती थी. अब पिता महेंद्र सिंह का प्रशासन से भरोसा उठ चुका है.

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