उत्तराखंड:- उत्तराखंड में कभी अचानक लगातार बारिश होने लगती है तो कभी भूकंप आने से तबाही आ जाती है। यहाँ भयकर घटनाएं झेलने के बाद भी पेड़ पौधे काट दिए जाते है। कोई पर्यावरण का ध्यान नही रखता। देहरादून के डाटकाली से लेकर मोहंड तक एलिवेटेड रॉड बननी है। और इसके लिए 11 हज़ार पेड़ो की बचाने के लिए राज्यो की संस्थाए एक साथ होकर पेड़ो की रक्षा कर रही है। गांधी जयंती पर एक कार्यक्रम में चलो मोहंड समारोह किया जिसमें पेड़ो को बचाने के लिए सभी ने आवाज़ उठाई। संस्था ने डाटकाली में हाथो में पत्तियां लेकर पेड़ो पर चिपका कर पेड़ को काटने के लिए मना किया। उन्होंने कहा कि 11मिनट की बचत के लिए 11 हज़ार पेड़ काट रहे है। हम ऐसा नही होने देंगे।
सरकार के कदम को रोकने के लिए विरोध किया जाएगा। कहीं कहीं तो सरकार जंगलो और पेड़ो को बचाने के लिए बोल रही है वही दूसरी ओर राजाजी टाइगर रिज़र्व के पेड़ों को काटकर जानवरों का जंगल को तबाह कर रहे है। हम देश के विकास के लिए पेड़ो को काट रहे है। पर्यावरण खराब करने की वजह से बादल फटने के मामले, बाढ़, कोरोना जैसे बीमारी हो रही है। संस्था के लोगो ने पेड़ो को बचाने के लिए चिपको आंदोलन शुरू करने के बारे में कहा। इस चिपको आंदोलन में खुशी की उड़ान चैरिटेबल ट्रस्ट, तितली ट्रस्ट, अगास, सिटीजन फ़ॉर दून, डीएनए, डू नो ट्रैश, अर्थ एंड क्लाइमेट इनिशिएटिव, द ईको ग्रुप देहरादून, द फ्रेंड ऑफ दून सोसायटी, फ्राइडे फॉर फ्यूचर, आइडियल फाउंडेशन जैसे संस्था ने भाग लिया।
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