उत्तराखंड में बड़ी तेज रफ्तार के साथ कोरोना फैल रहा है। जिस कारण उत्तराखंड में कोरोना मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है। कोरोना की इस दहशत से शासन प्रशासन सभी चिंतित हैं और हो भी क्यों ना, एक में कोरोना है जो कि थम नहीं रहा है और दूसरे में जनता है जो कि कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रही है ऐसे में शासन प्रशासन का चिंतित होना जायज है।
जैसे कि आपको पता होगा कि उत्तराखंड में चुनाव होने वाले हैं जिसके प्रचार में विभिन्न राजनीतिक दल जनसभाएं और रैलियों के माध्यम से प्रचार कर रहे हैं। क्योंकि इंन सभाओं और रैलियों में लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ रही है जिस कारण कोरोना फैलने का खतरा और ज्यादा बढ़ रहा है।
ऐसा लग रहा है मानो लोग कोरोना को भूल गए हो। इन रैलियों में लोग बिना मास्क के जा रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं उठता है। उत्तराखंड की यह हालत देखकर लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड में तीसरी लहर दस्तक देगी। यदि इस भीड़ को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो जल्द ही कोरोना पूरे उत्तराखंड में तबाही मचा देगा।
उत्तराखंड में नैनीताल हाई कोर्ट को एक जनहित याचिका दायर की गई थी कि आगामी विधानसभा चुनाव स्थगित कर लिए जाएं क्योंकि राज्य में ओमिक्रोन का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।इस जनहित याचिका को ध्यान में रखते हुए अब नैनीताल हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग भारत सरकार से पूछा है कि क्या उत्तराखंड में रैलियां व जनसभाएं वर्चुअल हो सकती हैं।
साथ ही नैनीताल हाईकोर्ट ने ऑनलाइन वोटिंग के संबंध में भी चुनाव आयोग से पूछा है ।नैनीताल हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को जल्द से जल्द 12 जनवरी तक जवाब देने को कहां है।