सेना के अधिकारियों के लिए आने वाली थी ‘अग्निपथ योजना’, इन वजहों से टली

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Agneepath scheme was to come for army officers, know why postpone scheme ann
Agneepath scheme was to come for army officers, know why postpone scheme ann

Agnipath Scheme: जिस अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) को लेकर देशभर में बवाल मचा है वो करीब दो साल पहले सेना के अधिकारियों के लिए ही आने वाली थी. उस वक्त इसका नाम अग्निपथ (Agnipath) नहीं बल्कि टूर ऑफ ड्यूटी यानि टीओडी (TOD) था. सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) टीओडी के माध्यम से सेना में तीन साल के लिए अधिकारियों की नियुक्ति चाहते थे लेकिन दिसंबर 2021 को हुए हेलीकॉप्टर क्रैश (Helicopter Crash) में बिपिन रावत की मौत हो गई और इसके बाद टीओडी को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

सेना के मुताबिक, जिस तरह जवानों के लिए अग्निपथ योजना है ठीक उसी तरह से ऑफिसर्स के लिए सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन यानि एसएससी है. एसएससी के माध्यम से दस (10) साल के लिए अधिकारियों की नियुक्ति थलसेना में की जाती है. ये परीक्षा भी एनडीए यानि नेशनल डिफेंस एकेडमी की तरह ही यूपीएएस आयोजित करती है. इस परीक्षा को कम्बाइंड डिफेंस सर्विस यानि सीडीएस नाम दिया जाता है.

आपको बता दें कि सेना के तीनों अंगों में परमानेंट कमीशन यानि स्थाई कमीशन के लिए यूपीएससी द्वारा आयोजित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) एग्जाम को साल में दो बार आयोजित किया जाता है. इसके अलावा सीडीएस परीक्षा के माध्यम से भी सीधे इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) और ठीक ऐसे ही वायुसेना और नौसेना में भी अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है.

SSC अधिकारी 14 साल तक दे सकता है सेवाएं लेकिन एसएसी और अग्निपथ योजना में ये अंतर है कि जहां अग्निपथ योजना के तहत 75 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना से रिटायर कर दिया जाएगा. वहीं एसएससी अधिकारी दस साल के बाद भी चार साल के लिए अपनी सेवाएं बढ़ा सकता है. यानि कुल 14 साल तक वो सेना में अपनी सेवाएं दे सकता है. 14 साल के बाद अगर वो एनडीए अधिकारियों की तरह परमानेंट कमीशन चाहता है तो उसे एक कठिन ‘बोर्ड’ यानि इंटरव्यू और मेडिकल फिटनेस से गुजरना पड़ता है.

अग्निवीर स्कीम सफल रही तो TOD भी हो सकेगा लागू हालांकि, रक्षा मंत्रालय और सेना में कोई भी अधिकारी फिलहाल तीन साल के कार्यकाल वाले टीओडी यानि टूर ऑफ ड्यूटी प्लान पर नहीं बोलना चाहता है लेकिन माना जा रहा है कि अगर अग्निवीर स्कीम सफल रही तो अधिकारियों के लिए भी टीओडी प्लान लागू किया जा सकता है. क्योंकि सेना में अधिकारियों की कमी है.

 

 

 

इस वजह से TOD प्लान लाना चाहते थे जनरल रावत

जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) का टीओडी (TOD) स्कीम लाने का एक मकसद अधिकारियों (Officers) के लिए खाली पड़ी रिक्तियां भरना भी था. इसी साल फरवरी के महीने में संसद मे दिए एक सवाल के लिखित जवाब में रक्षा राज्यमंत्री (Defence State Minister) ने बताया था कि सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना (Army), वायुसेना (Airforce) और नौसेना (Navy) में कुल 9290 अधिकारियों की कमी है. थलसेना में 7701, नौसेना में 1557 और वायुसेना में 572 अधिकारियों की कमी है. यही वजह है कि टीओडी के जरिए इन रिक्तियों को आने वाले समय में भरा जा सकता है.

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