नई दिल्ली:- मेजर आइना राणा पंजाब के पठानकोट की रहने वाली है। इन्होने 9 साल भारतीय सेना मे सेवा करने के बाद अब बीआरओ मे आई है जो कि एक सडक बनाने वाली कंपनी (आरसीसी) है। इनसे पहले इसी साल अप्रैल मे महाराष्ट्र के वर्धा क्षेत्र की रहने वाली वैशाली एस हिवासे बीआरओ की पहली कमांडिंग अफसर थी। मेजर आइना राणा को पहाड़ी इलाके मे भारत और चीन की सीमा से जुड़ी सडक का काम दिया गया है।
डिफेन्स सेक्टर मे महिलाओं को मिला योगदान, भारतीय सेना मे आदमियों के साथ अब महिलाओं को भी देश की सुरक्षा के लिए लड़ना पड़ता है। 1988 मे महिलाओं को भारतीय सेना मे पहली बार एंट्री दी गई थी। इतना ही नही जब भारत देश आज़ाद नही हुआ था तब भी महिलाओं ने नर्सिंग सर्विस आर्मी जॉइन किया था। लकिन वह कार्य घिरा हुआ था। उसके बाद सरकार ने 1992 मे नॉन मेडिकल कोर मे औरतों को भर्ती मिलनी शुरु हो गई। और आज के जमाने मे महिलाये हर चीज़ मे आगे बढ़ रही है। यहाँ तक कि वायु सेना का प्लेन भी उड़ा रही है। अब एनडीए मे भी सरकार ने औरतों को मंजूरी दें दी। बीआरओ मे औरतों को जिम्मेदारी सौप कर देखा जायेगा कि वह कितना और सुधार करती है।
सीमा पर सडक बनाने का काम करता है बीआरओ, बीआरओ भारत कि सडक मेंटनैंस का काम करती है। और ये सेना की मदद करती है। भारत के पड़ोसी देश मे सडक बनाने वाले नेटवर्क को मजबूत करती है। 1960 मे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बीआरओ का निर्माण किया था। इसको बनाने का मकसद ये था कि आज़ादी के बाद भारत की सीमा और बर्फीले इलाके जहां दुश्मन पहुंच जाते है ये सीमा बनाकर रक्षाकर्मी इन इलाको मे पहुंचकर इनकी रक्षा कर सके।
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