![The word martyr will not be used for the soldiers who are sacrificed their life for the nation The word martyr will not be used for the soldiers who are sacrificed their life for the nation](https://uttarakhandprabhat.com/wp-content/uploads/2022/02/Picsart_22-02-26_10-36-21-935-696x391.jpg)
रोजाना कई जवान देश के लिए मर मिटने को भी तैयार रहते है।और वीरगति भी प्राप्त करते है। वहीं जब कोई जवान इस वीरगति को प्राप्त करता है तो उसे आम तौर पर शहीद बोला जाता है लेकिन अब सैन्य प्रशासन द्वारा अपनी सभी इकाइयों को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण परिपत्र जारी किया गया है।
उनका मानना है कि देश पर मर मिटने वाले जवान शहीद नहीं, बल्कि वीर होते हैं।और देश की एकता और अखंडता के लिए अपना बलिदान करने वाले जवानों और सैन्याधिकारी के लिए शहीद शब्द नहीं लिखा जाएगा।इसके अलावा उन्हें वीरगति को प्राप्त वीर,बलिदानी,वीर,भारतीय सेना के वीर, वीर योद्धा,दिवंगत नायक, जैसे नामों से संबोधित किया जाएगा।अब शहीद शब्द पुलिस,सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की शब्दावली में कहीं इस्तेमाल नहीं होगा।
1990 के बाद से जिन जवानो ने अलग अलग राष्ट्र के विरोधी तत्वों से ,नक्सलियों और आतंकियों के विरोध में बलिदान दिए है उनके लिए शहीद का इस्तेमाल किया जाता है।हिंदी के इन्हे शहीद और अंग्रेजी में मारटर लिखा जाता है जिसपर अब बहुत से सवाल उठाए जा रहे थे ,जिसके बाद दिसंबर 2016 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि पुलिस,भारतीय सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के बलिदानी जवानों के लिए हिंदी में शहीद और अंग्रेजी में मारटर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
वहीं एक वरिष्ठ सैन्याधिकारी ने जो कि जम्मू-कश्मीर में तैनात है उन्होंने कहा,” रक्षा मंत्रालय ने बलिदानी सैनिकों और अधिकारियों के लिए शहीद शब्द के इस्तेमाल की कभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की।यह शब्द 1990 के बाद से ही ज्यादातार प्रयोग हुआ है। हम इसके लिए सर्वोच्च बलिदान, वीर जैसे शब्दों का ही प्रयोग करते रहे हैं।”
वहीं जम्मू के प्रख्यात चिंतक प्रो. हरिओम ने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि यह शब्द इसाइयों और मुस्लिम और बीच होने वाले धर्मयुद्ध में मारे गए लोगों के लिए इस्तेमाल होता आ रहा है।
उन्होंने आगे कहा,”इस्लाम में शहीद का प्रयोग जिहाद के लिए मारे जाने वालों के लिए पर्योग होता आया है।आज भी इस्लाम के नाम पर दुनियाभर में आतंक फैलाने वाले तत्व और आतंकी अपने साथी के मारे पर उसे शहीद ही पुकारते हैं। जबकि,मातृभूमि की रक्षा और अपने लोगों की जान बचाने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले बलिदानी और वीर होते हैं।”
इसके अलावा कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ डा. अजय चुरुंगु का कहना है,”हमारी शब्दावली में कुछ ऐसे शब्द शामिल हुए हैं जिनका मूल अर्थ पूरी तरह से इस्लामिक सभ्यता को बढ़ाना है। शहीद भी ऐसा ही शब्द है। हमारी सेना पंथनिरपेक्ष है और यह मातृभूमि की रक्षा के लिए है, किसी धर्म या विचारधारा की रक्षा के लिए नहीं है।”